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Registered on 14th Jan, 2022
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Registered on 14th Jan, 2022
ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G20 की अध्यक्षता करेगा।
2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर G20 को राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर तक उन्नत किया गया था, और 2009 में इसे "अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हेतु प्रमुख मंच" के रूप में नामित किया गया था।
G20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है। शुरुआत में G20 व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, परंतु बाद में इसके एजेंडे में विस्तार करते हुए इसमें अन्य बातों के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार-विरोध शामिल किया गया।
G20 की अध्यक्षता अन्य सदस्यों के परामर्श से और वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास के जवाब में G20 एजेंडा को एक साथ लाने के लिए जिम्मेदार है।
अधिक जानकारी के लिए, कृपया देखें / क्लिक करें।
ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं। G20 सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी है।
नियमित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (यूएन, आईएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी और ओईसीडी) और क्षेत्रीय संगठनों (एयू, एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान) की पीठों के अतिरिक्त G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा आईएसए, सीडीआरआई और एडीबी को अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के रूप में आमंत्रित किया जाएगा।
17वें G20 राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों का शिखर सम्मेलन 15-16 नवंबर 2022 को बाली में आयोजित किया गया। इस शिखर सम्मेलन मे G20 की प्रक्रिया और वर्ष भर मंत्रिस्तरीय बैठकों कार्यसमूहों और संपर्क समूहों के तहत किए जाने वाले गहन कार्य शामिल थे।
नवंबर 15-16, 2022
जुलाई 15-16, 2022
फरवरी 17-18, 2022
इटली की अध्यक्षता के तहत G20 शिखर सम्मेलन अक्तूबर 30-31, 2021 को रोम में आयोजित किया गया था जिसमें इसके सदस्यों, छह आमंत्रित देशों (स्पेन, नीदरलैंड, सिंगापुर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, रवांडा और ब्रुनेई, नेपाड और आसियान) एवं नौ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। "लोग, ग्रह, समृद्घि"के सिद्घांत के तहत नेताओं के शिखर सम्मेलन में तीन मुख्य सत्रों में स्वास्थ्य संकट से जुड़े बृहद आर्थिक वैश्विक विकास; पर्यावरण और जलवायु चुनौतियों के समाधान; वैश्विक स्तर पर सतत विकास को विकसित करने की आवश्यकता पर चर्चा की गई। बाद के दो कार्यक्रम एसएमई के वित्तीय समावेशन (महिलाओं के नेतृत्व किये जाने वाले कार्य पर केंद्रित) और जलवायु परिवर्तन से निपटने में सार्वजनिक- निजी भागीदारी से संबंधित थे। शिखर सम्मेलन ने नेताओं की एक घोषणा पारित किया जिसमें न केवल अंतरराष्ट्रीय कराधान, विशेष आहरण अधिकार, स्वास्थ्य-वित्त कार्य बल की स्थापना में महत्वपूर्ण प्रगति को सुनिश्चित करता है बल्कि टीकों की वैश्विक सुलभता और आपूर्ति विशेष रूप से अतिसंवेदनशील देशों को समर्थन देने एवं जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए G20 देशों के परस्पर उद्देश्य भी शामिल है। इटली अध्यक्षता के अन्य महत्वपूर्ण परिणामों में खाद्य सुरक्षा पर मटेरा घोषणा की औपचारिक स्वीकृति, वैश्विक स्तर पर 2030 तक एक ट्रिलियन वृक्षारोपण का साझा लक्ष्य शामिल थे। G20 शिखर सम्मेलन ने "ब्रिस्बेन लक्ष्यों के लिए और उसके बाद की कार्ययोजना"लागू करने की प्रतिबद्घता दिखाते हुए महिला सशक्तिकरण के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। अंत में नेताओं ने G20 मुद्दे के रूप में संस्कृति की पहचान की तथा भ्रष्टाचार के विरुद्घ लड़ाई में नवाचारी साधनों को अपनाया।
जुलाई 22, 2021
अक्टूबर 29, 2021
सउदी अरब ने 21-22 नवंबर 2020 को रियाद में एक वर्चुअल G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। G20 नेताओं ने वैश्विक कार्रवाई, एकजुटता और बहुपक्षीय सहयोग के संबंध में, ग्रह की सुरक्षा और नई सीमाएँ स्थापित करने का समन्वय करने के लिए अपनी प्रतिबद्घता व्यक्त की। इसके अलावा G20 के नेताओं ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए मिलकर काम करने, विकास को बढ़ावा देने एवं अधिक समावेशी, सतत और सहज भविष्य बनाने के लिए प्रतिबद्घता व्यक्त की। G20 नेताओं ने अतिसंवेदनशील एवं कमजोर देशों विशेष रूप से अफ्रीका में महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपना समर्थन देने के लिए दृढ़ संकल्प किया। G20 के नेताओं ने उन लाखों श्रमिकों विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के रोजगार पर भी ध्यान केंद्रित किया जो नौकरी और आय हानि का सामना कर रहे हैं। इसने सभी के लिए जो अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल है, के साथ सक्रिय सामाजिक सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया।सउदी अरब ने 21-22 नवंबर 2020 को रियाद में एक वर्चुअल G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। G20 नेताओं ने वैश्विक कार्रवाई, एकजुटता और बहुपक्षीय सहयोग के संबंध में, ग्रह की सुरक्षा और नई सीमाएँ स्थापित करने का समन्वय करने के लिए अपनी प्रतिबद्घता व्यक्त की। इसके अलावा G20 के नेताओं ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए मिलकर काम करने, विकास को बढ़ावा देने एवं अधिक समावेशी, सतत और सहज भविष्य बनाने के लिए प्रतिबद्घता व्यक्त की। G20 नेताओं ने अतिसंवेदनशील एवं कमजोर देशों विशेष रूप से अफ्रीका में महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपना समर्थन देने के लिए दृढ़ संकल्प किया। G20 के नेताओं ने उन लाखों श्रमिकों विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं के रोजगार पर भी ध्यान केंद्रित किया जो नौकरी और आय हानि का सामना कर रहे हैं। इसने सभी के लिए जो अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल है, के साथ सक्रिय सामाजिक सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया।
जुलाई 18, 2020
नवंबर 22, 2020
सितंबर 22, 2020
सितंबर 5, 2020
G20 शिखर सम्मेलन, जिसकी मेजबानी 2019 में जापान ने पहली बार ओसाका में की जिसमें, G20 के सदस्य, 8 आमंत्रित देश और 9 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे और जो ऐतिहासिक रूप से जापान में आयोजित अब तक का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन था। प्रमुख देशों के नेता एक सामान्य आधार की पहचान करने और विश्व अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रमुख मुद्दों से संयुक्त रूप से निपटने हेतु एकत्र हुए।
वैश्वीकरण से होने वाले परिवर्तनों से उत्पन्न विश्वव्यापी अशांति एवं असंतोष के बीच जापान ने अध्यक्ष के रूप में यह सुनिश्चित करते हुए नेतृत्व किया कि G20 ओसाका नेताओं की घोषणा के माध्यम से विश्व को सशक्त संदेश मिले जिसमें विभिन्न क्षेत्रों जैसे बढ़ती हुई वैश्विक आर्थिक विकास के जरिए मुक्त व्यापार और नवोन्मेष को बढ़ावा देना एवं असमानतओं को दूर करने के साथ-साथ पर्यावरणीय एवं वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए योगदान देना शामिल है।
मई 11-12, 2019
अक्टूबर 19-20, 2019
सितंबर 1-2, 2019
अक्टूबर 26, 2019
अर्जेंटीना ने 1 दिसंबर, 2017 को ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी (G20) की अध्यक्षता संभाली, जो 1 दिसंबर, 2018 तक चली, जब ब्यूनस आयर्स शहर में नेताओं का शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ। चूंकि अर्जेंटीना ने दक्षिण अमेरिका में आयोजित पहले G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, इसलिए वैश्विक आर्थिक अधिशासन के लिए सबसे प्रासंगिक मंच की अध्यक्षता करने के लिए चुने जाने का तथ्य बहुत महत्वपूर्ण था। यह मंच अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बहुपक्षवाद और वैश्विक शासन के साथ-साथ मुख्य वैश्विक चुनौतियों की पहचान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। अर्जेंटीना ने बैठक का नेतृत्व करने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार, अतिरिक्त इस्पात क्षमता, साथ ही जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में पेरिस समझौते की भूमिका और 2030 एजेंडे पर किस तरह कार्य करना चाहिए, जैसे संवेदनशील मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए अपनी क्षमता प्रमाणित की।
सिद्धांतों की अवसंरचना के भीतर "न्यायसंगत और सतत विकास के लिए आम सहमति तैयार करना", G20 2018 में ये मुद्दे महत्वपूर्ण थे तथा इनमें तीन प्राथमिकताएं निर्धारित की गईं हैः 'कार्य का भविष्य', 'विकास के लिए अवसंरचना' तथा 'एक स्थायी खाद्य भविष्य', जो अर्जेंटीना की अध्यक्षता में शामिल की जाएंगी। G20 के एजेंडे में लोगों को इसकी मुख्य धुरी माना गया है। वैसे ही जैसे अर्जेंटीना ने महिलाओं के परिपेक्ष्य के मुद्दे को उठाया और मंच के विभिन्न कार्य समूहों में उसको बढ़ावा दिया।
सालभर में 60 से अधिक बैठकें आयोजित की गईं जिनमें से 10 बैठकें मंत्रीस्तरीय थीं। ये बैठकें ब्यूनस आयर्स और नेउक्वेन, ब्यूनस आयर्स, मेंडोसा, सांता फे, जुजुए, साल्टा, टुकुमन और टिएरा दे फ्यूगो के प्रांतो में आयोजित की गई थीं। परिणामस्वरूप वित्त, रोजगार, शिक्षा (जिनके कार्य समूहों का निर्माण G20 के इतिहास में पहली बार और अर्जेंटीना की पहल के रूप में किया गया), डिजिटल अर्थव्यवस्था, कृषि, स्वास्थ्य, व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्र में मंत्रीस्तरीय घोषणाएं की गई थीं।
अर्जेंटीना ने G20 में विकासशील देशों के परिप्रेक्ष्य को बढ़ावा देने के इरादे से तथा बैठक को व्यापक एवं अधिक समावेशी बनाने के उद्देश्य से कार्य किया है।
अर्जेंटीना की G20 अध्यक्षता के कार्य से सदस्यों के बीच वार्ता के लिए विभिन्न उदाहरणों का प्रसार हुआ है जिसमें कार्य समूहों के ढांचे के भीतर हुए करारों को दर्शाने का प्रयास किया गया है और इस प्रयास का परिणाम नेताओं की मौलिक विज्ञप्ति, यहां तक कि व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे अंतरराष्ट्रीय एजेंडे से संबंधित संबंधित मामलों में भी दर्शाया गया है। उसी प्रकार, अर्जेंटीना विरोधाभास की स्थिति को और अधिक गंभीर न बनाकर समानान्तर कार्यों की पहचान करने में समर्थ रहा, जैसा कि पूरे वर्ष आयोजित अन्य मंचों में हुआ। सदस्य राष्ट्रों ने यह स्वीकार किया कि यह सामान्य स्थितियों का पुनर्स्थापन शुरू करने का समय था, भले ही वे अतीत मे हुए करारों की तुलना में कम महत्वाकांक्षी लग सकते हैं जो आज प्रभावपूर्ण नहीं हैं।
2018
2018
2018
"शेपिंग एन इंटरकनेक्टेड वर्ल्ड" के आदर्श वाक्य के तहत, हैम्बर्ग (2017) में G20 ने प्रमुख मुद्दों पर वास्तविक बहुपक्षीय सहयोग के लिए प्राथमिकता दी और मार्ग प्रशस्त किया जो आज भी महत्वपूर्ण रूप से प्रासंगिक हैं। G20 ने महामारी की तैयारी और एएमआर पर उल्लेखनीय विवेक का प्रदर्शन किया, और G20 अफ्रीका साझोदारी स्थापना की, जिसमें अफ्रीका के साथ स्थायी निवेश और अवसरों पर केंद्रित करार शामिल है।
हैम्बर्ग में हुए G20 सम्मेलन में कई नई पहलों को पारित किया, जैसे कि पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए G20 हैम्बर्ग जलवायु और ऊर्जा कार्य योजना, और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा को लागू करने के लिए हैम्बर्ग अपडेट।
इसके अतिरिक्त, G20 ने बहुपक्षीय नियम-आधारित व्यापार प्रणाली की पुष्टि की, जिसमें स्थायी आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए पुनः प्रतिबद्धता और अतिरिक्त क्षमताओं पर ध्यान देना शामिल है; वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के माध्यम से आतंकवाद-रोधी क्षमताओं को सुदृढ़ करना; महिला सशक्तिकरण के माध्यम से स्त्री-/पुरुष समानता प्राप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाना (इसमें #eSkills4Girls और महिला उद्यमी वित्त पहल जैसी पहलें शामिल हैं, जिसे विकासशील देशों में महिलाओं को अपना व्यवसाय स्थापित करने में मदद करने हेतु डिज़ाइन किया गया है) और विस्थापन के अंतर्निहित कारणों को दूर करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, और शरणार्थियों और प्रवासियों की जरूरतों रो पूरा करना शामिल है।
4-5 सितंबर, 2016 को 11वां G20 शिखर सम्मेलन चीन के हांग्जो में आयोजित किया गया था। इसका विषय "एक अभिनव, सक्रिय, परस्पर और समावेशी विश्व अर्थव्यवस्था की ओर" था। प्रतिभागियों ने चार प्रमुख कार्यसूची मदों - विकास के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त करना, अधिक प्रभावी और कुशल वैश्विक आर्थिक और वित्तीय शासन, मजबूत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश, और समावेशी और परस्पर विकास पर व्यापक विचार विमर्श किया।
विश्व आर्थिक विकास और G20 के रूपांतरण के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के साथ, हांग्जो शिखर सम्मेलन को सभी पक्षों से अधिक आशाएं हैं। G20 लीडर्स कम्युनिक हांग्जो शिखर सम्मेलन और 28 परिणाम दस्तावेजों को पारित करने के बाद इसका समापन हुआ। इन परिणामों ने चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर काम करने की भावना को दर्शाया, और विश्व अर्थव्यवस्था के लिए मार्ग प्रशस्त किया। सतत विकास के लिए 2030 कार्यसूची पर G20 कार्य योजना और वैश्विक व्यापार विकास के लिए G20 रणनीति जैसी व्यावहारिक कार्य योजनाओं का समर्थन आम विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
हांग्जो शिखर सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश दिया: G20 न केवल अपने सदस्यों बल्कि व्यापक दुनिया, विशेष रूप से विकासशील देशों और उनके लोगों की सेवा करता है। इसने शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में चीन के अद्वितीय दृष्टिकोण को दर्शाया।
तुर्किये 2015 में G20 अध्यक्ष था और इसने 15-16 नवंबर 2015 को अंताल्या में नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। तुर्किये G20 अध्यक्षता का उद्देश्य अधिक समावेशी वैश्विक विकास विकसित करने, निवेश बढ़ाने और पिछली प्रतिबद्धताओं को प्रभावी ढंग से लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना था। इसलिए, तुर्किये ने अपनी G20 अध्यक्षता संबंधी प्राथमिकताओं को तीन आई अर्थात् "समावेशी, निवेश और कार्यान्वयन" से परिभाषित किया।
नेताओं के शिखर सम्मेलन में 13.000 प्रतिभागियों के साथ 26 देशों और 07 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसकी शुरुआत राष्ट्रपति एर्दोआन के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के स्वागत समारोह और सामूहिक तस्वीर के साथ हुई। राष्ट्रपति एर्दोआन ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर भाषण दिया।
शिखर सम्मेलन के पहले दिन, नेताओं ने "विकास और जलवायु परिवर्तन" पर वर्किंग लंच, "समावेशी विकास: वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकास रणनीतियाँ, रोजगार और निवेश रणनीतियाँ" शीर्षक वाले सत्र और "वैश्विक चुनौतियाँ: आतंकवाद और शरणार्थी संकट" पर वर्किंग डिनर में भाग लिया।
नेताओं ने "एनहांसिंग रेजिलिएशन" नामक सत्र में वित्तीय नियमों, अंतर्राष्ट्रीय कर, भ्रष्टाचार विरोधी और आईएमएफ सुधार पर चर्चा की। व्यापार और ऊर्जा वर्किंग लंच की कार्ययोजना में सबसे ऊपर था, जहां शिखर सम्मेलन की अंतिम विज्ञप्ति और अंताल्या कार्य योजना को अंगीकार किया गया।
ऑस्ट्रेलिया का 2014 का G20 शिखर सम्मेलन 15-16 नवंबर को ब्रिस्बेन में आयोजित किया गया था। शिखर सम्मेलन में विकास और नौकरियों, आर्थिक लचीलेपन और वैश्विक संस्थानों के सशक्तिकरण पर कार्यसूची के तीन विषयों पर परिणाम प्रस्तुत किए गए हैं।
ब्रिस्बेन शिखर सम्मेलन में नेताओं ने आर्थिक विकास के लिए प्रमुख वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा की। G20 5 वर्षों से G20 जीडीपी को 2 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। ब्रिस्बेन कार्य योजना और संबद्ध विकास रणनीतियों में निर्धारित विकास को बढ़ावा देने और गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजित करने पर भी सहमत हुआ।
नेताओं ने वैश्विक अवसंरचना केन्द्र के निर्माण के माध्यम से बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने; ऊर्जा सहयोग पर G20 सिद्धांतों के माध्यम से ऊर्जा सहयोग में सुधार और ऊर्जा बाजारों को मजबूत करने; और ब्रिस्बेन लक्ष्य के माध्यम से 2025 तक पुरुष और महिला कार्यबल भागीदारी दरों के बीच अंतर को 25 प्रतिशत तक कम करने पर सहमति व्यक्त की। नेताओं ने वित्तीय विनियमन को मजबूत करने और कर परिहार का मुकाबला करने के लिए सुधारों पर भी सहमति व्यक्त की। शिखर सम्मेलन के परिणामस्वरूप नेताओं की विज्ञप्ति, ब्रिस्बेन कार्य योजना और इबोला पर एकल बयान आया।
सेंट पीटर्सबर्ग में G-20 शिखर सम्मेलन G20 देशों के नेताओं की आठवीं बैठक थी, जो सितंबर 5-6, 2013 को सेंट पीटर्सबर्ग में रूस में आयोजित की गई थी।
इस शिखर सम्मेलन के विचार के लिए प्रस्तावित मुख्य विषय थे:
जहां तक रूसी G20 अध्यक्षता के उद्देश्य हैं, इसने कार्यसूची में कोई नया मद शामिल नहीं करने का निर्णय लिया, बल्कि विश्वभर में स्थायी, समावेशी और संतुलित विकास और रोजगार सृजन के समर्थन में पारंपरिक ट्रैक पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया। इस रणनीतिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए, रूस ने नए वैश्विक आर्थिक विकास चक्र को शुरू करने के उद्देश्य से निम्नलिखित तीन प्राथमिकताओं के लिए आम ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई, जिसमें, कौशल नौकरियों और निवेश के साथ, बाजारों में विश्वास और पारदर्शिता द्वारा और कारगर और कुशल विनियमन के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना शामिल है। पारंपरिक G20 एजेंडा के अलावा दो नए वित्तीय विषय जोड़े गए - निवेश के लिए वित्तपोषण और सरकारी उधारी तथा सार्वजनिक ऋण स्थिरता। रूस ने नीतिगत उपायों के समन्वय पर ध्यान केंद्रित किया जो विकास के दीर्घकालिक निवेश स्रोतों के विस्तार और विकास को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सहमत अंतरराष्ट्रीय नियमों के एक सेट के लिए राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में संप्रभु उधार के भविष्य पर चर्चा करने के लिए अपनाए जा सकते हैं।
पिछली प्रतिबद्धताओं की निरंतरता और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए रूस ने G20 कार्यसूची जैसे वैश्विक ऊर्जा बाजारों में स्थिरता बनाए रखने, अंतरराष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाने, बहुपक्षीय व्यापार को मजबूत करने और भ्रष्टाचार का मुकाबला करने सहित आईएमएफ फॉर्मूला और कोटा में सुधार के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति, मजबूत, सतत और संतुलित विकास के लिए संरचनात्मक समझौते का कार्यान्वयन, रोजगार सृजन की सुविधा, मुद्रा और वित्तीय विनियमन और पर्यवेक्षण प्रणाली में सुधार पर पारंपरिक महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए सहभागियों के साथ मिलकर काम करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
मेक्सिको ने उभरते और विकासशील देशों के हितों और प्राथमिकताओं पर विचार करते हुए एक अधिक कारगर वैश्विक आर्थिक शासन प्रणाली प्राप्त करने के उद्देश्य से 2012 में G20 की अध्यक्षता ग्रहण की।
मैक्सिकयाई अध्यक्षता की प्राथमिकताएं आर्थिक स्थिरता और विकास तथा रोजगार के लिए संरचनात्मक सुधार करना; वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाना और आर्थिक विकास में बढ़ोतरी के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना; आपस में जुड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार करना; खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करना और कच्चे माल की कीमत की अस्थिरता को कम करना; सतत विकास, हरित विकास को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन से निपटना शामिल था।
G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन नवंबर 3-4, 2011 को कान्स, फ्रांस में आयोजित किया गया था।
निम्नलिखित कदम उठाए गए और उनमें हुई प्रगति निम्नानुसार है:
कमोडिटी बाजार में पारदर्शिता : कमोडिटी की कीमतों में अनावश्यक अस्थिरता को रोकने के लिए G20 ने कान में भौतिक-ऊर्जा एवं कृषि- और वित्तीय कमोडिटी बाजारों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं।
विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे में निवेश : G20, विकासशील देशों आदि में मानव संसाधन और क्षमता निर्माण के लिए श्री टिडजाने थियाम की अध्यक्षता में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों के उच्च-स्तरीय पैनल और विकास बैंकों द्वारा की गई सिफारिशों का समर्थन करता है।
विकास और जलवायु के लिए नवोन्मेषी वित्तपोषण : कान्स में, G20 ने पहली बार, विकास और जलवायु परिवर्तन के लिए अभिनव वित्तपोषण के लिए समर्थन जुटाया है।
बैंकिंग विनियमन : G20, 2007 से बैंकिंग क्षेत्र के सामने आने वाली कठिनाइयों की प्रतिक्रिया में बैंकों पर लागू नियमों का एक नया ढांचा तैयार करने पर सहमत हुआ।
कृषि कीमतों का अस्थिरता से बचाव : मूल्य अस्थिरता विकासशील देशों के लिए अत्यधिक समस्याएं पैदा करती है, कीमतों में वृद्धि से उपभोक्ताओं को बोझ पड़ता है और कीमतें गिरने से उत्पादकों को कठिनाई होती है, इससे अनिश्चितता पैदा होती है जो निवेश निर्णयों, उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने, और अंततः कृषि विकास के लिए अनुकूल नहीं है।
भ्रष्टाचार से मुकाबला करना: नवंबर 2010 में सियोल शिखर सम्मेलन के बाद से G20 ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अत्यधिक प्रगति की है। G20 देशों द्वारा व्यक्तिगत और सामूहिक प्रगति का श्रेय फ्रांस की G20 अध्यक्षता को दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, G20 देशों ने संपत्ति की वसूली, मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ लड़ाई, व्हिसलब्लोअर संरक्षण, भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की कार्यप्रणाली और स्वतंत्रता, सार्वजनिक क्षेत्र की पारदर्शिता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सहित कई क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया है।
बाजार विनियमन : कान में, G20 ने वित्तीय क्षेत्र के इस प्रमुख सुधार को पूर्ण करने और नियामक मध्यस्थता के जोखिमों से बचने के लिए राष्ट्रीय व्यवस्था को उसके अनुरूप बनाने हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त की है। G20 ने 1) गैर-केंद्रीय रूप से स्वीकृत डेरिवेटिव पर लागू वित्तीय गारंटी आवश्यकताओं संबंधी नियमावली और 2) केंद्रीय डेटाबेस और नियामक डेटा एक्सेस के लिए प्रक्रियाओं के सामंजस्य से संबंधित राष्ट्रीय व्यवस्थाओं को एकरूप बनाने के लिए नई व्यवस्थाएँ शुरू करने का भी निर्णय लिया है।
व्यापार: G20 सदस्य देशों ने 2013 से पहले व्यापार को प्रतिबंधित करने से संबंधित नए उपाय लागू नहीं करने और पहले से लागू किए गए सभी संरक्षणवादी उपायों को वापस लेने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है, जिनको पहले ही लागू किया जा चुका है। डबल्यूटीओ को ओईसीडी और यूएनसीटीएडी के साथ हर छह माह में G20 की स्थिति की समीक्षा करने का कार्य सौंपा गया है। यह निर्णय ऐसे समय में विभिन्न देशों के बीच संघर्ष को रोकने में मदद करेगा जब सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आईएमएफ़ की कार्रवाई क्षमता और निगरानी में वृद्धि: G20 ने अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली में सुधार के लिए आपदा से निपटने,इसको रोकने तथा अपने सदस्य देशों और विश्व अर्थव्यवस्था की निगरानी में सुधार करने के लिए आईएमएफ़ की क्षमता को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
कृषि:फ्रांस ने कृषि और खाद्य सुरक्षा को G20 की प्राथमिकताओं के केंद्र में रखा है। इस गणराज्य के राष्ट्रपति ने पहली बार ब्रूनो ले मायेर को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) सहित खाद्य सुरक्षा के लिए उत्तरदायी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ G20 कृषि मंत्रियों को एक साथ लाने के लिए कहा है। G20 ने "खाद्य मूल्य अस्थिरता और कृषि पर कार्य योजना"को पारित किया है। यह विश्व कृषि और खाद्य चुनौती को पूरा करने के लिए महत्वाकांक्षी, ठोस और तत्काल समाधान प्रदान करता है।
वैश्वीकरण का सामाजिक विनियमन: 2011 में, G20 की फ्रांसीसी अध्यक्षता में वैश्वीकरण के सामाजिक आयाम को G20 एजेंडा में जोड़ा गया। फ्रांस गणराज्य के राष्ट्रपति ने जेवियर बर्ट्रेंड को 26 और 27 सितंबर को पेरिस में G20 के श्रम और रोजगार मंत्रियों के बीच एक बैठक की व्यवस्था करने के लिए कहा है। कान्स में, राष्ट्राध्यक्षों ने यह स्वीकार किया है कि सामाजिक आयाम को दीर्घकाल के लिए G20 एजेंडा में शामिल करना आवश्यक है।
आपातकालीन मानवीय खाद्य भंडार: 23 जून 2011 को पारित खाद्य मूल्य अस्थिरता और कृषि संबंधी G20 कार्य योजना, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और संयुक्त राष्ट्र एवं विश्व बैंक जैसे अन्य सक्षम अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मौजूदा राष्ट्रीय खाद्य भंडार के साथ-साथ अफ्रीका में ऐसी प्रणाली के कार्यान्वयन पर व्यवहार्यता अध्ययन करने का अधिदेश देती है। अफ्रीकी क्षेत्रीय संगठनों के साथ एक व्यवहार्यता अध्ययन सम्पन्न किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली में सुधार: G20 ने पूंजी प्रवाह का कारगर ढंग से प्रबंधन करने के लिए एक संदर्भ ढांचा अपनाया है: यह स्वीकार करता है कि पूंजी प्रवाह के प्रबंधन या निगरानी के उपाय वैध हो सकते हैं, क्योंकि वे मजबूत वृहद आर्थिक नीतियों के पूरक हैं और जब विशेष रूप से उच्च और अस्थिर पूंजी प्रवाह होता हैं तो ये अमल में लाए जा सकते हैं ।
कर मुक्त क्षेत्र और गैर-सहकारी क्षेत्राधिकार: कान्स में G20 ने इन प्रक्रियाओं की पूरी तरह से समीक्षा की है। यह एक अत्यंत कठिन कवायद है, क्योंकि इसमें कुछ अत्यंत अनिच्छुक देशों को सामूहिक निर्णय लेने का आवाहन किया है।
विकास और रोजगार के लिए कार्य योजना:वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बढ़े हुए तनाव और महत्वपूर्ण नकारात्मक जोखिम से G20 को विश्वास, वित्तीय स्थिरता और विकास को बहाल करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है। यह विकास और नौकरियों के लिए कार्य योजना है।
नवंबर 4, 2011
G20 सियोल शिखर सम्मेलन 11-12 नवंबर, 2010 को आयोजित किया गया था। G20 देशों और पांच देशों तथा सात अंतर्राष्ट्रीय संगठनों सहित आमंत्रित प्रतिभागियों ने शिखर सम्मेलन में भाग लिया। लगभग 6,000 सरकारी प्रतिनिधियों और मीडिया समुदाय के 4,000 लोगों ने कोरिया की यात्रा की, जबकि वैश्विक निगमों के 120 सीईओ ने बिजनेस समिट में भाग लिया। G20 सियोल शिखर सम्मेलन वास्तव में कोरिया के इतिहास में सबसे बड़ा आयोजन था।
G20 सियोल शिखर सम्मेलन एजेंडा, प्रोटोकॉल और प्रबंधन के मामले में एक बड़ी सफलता थी। G20 सियोल शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों में 'मजबूत, सतत और संतुलित विकास के लिए रूपरेखा', 'आईएमएफ कोटा सुधार और कार्यकारी बोर्ड की संरचना का समायोजन', 'बेसल III करार और एसआईएफआई (प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थान) समस्या समाधान'और 'डीडीए के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि'जैसे करार शामिल थे। यह मानते हुए कि 'मुद्रा संघर्ष'तब अंतरराष्ट्रीय हित का विषय था, सांकेतिक दिशा-निर्देशों का एक सेट बनाने के लिए आम सहमति बनी थी। इसके नीतिगत रुख में एक अधिक बाजार-आधारित विनिमय दर तैयार करना शामिल था जो आर्थिक बुनियादी बातों को दर्शाता है, और साथ ही एक अधिक लोचशील विनिमय दर की स्थापना महत्वपूर्ण परिणाम माने गए हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की G20 भावना- वैश्विक अर्थव्यवस्था को संरक्षणवाद में बदलने और अंतर्राष्ट्रीय समन्वय के माध्यम से समाधान खोजने संबंधी करार- पर G20 नेताओं की दृढ़ आपसी समझ के बिना संभव नहीं होता।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन और वित्तीय नियामक उपायों के सुधार के संबंध में, सियोल शिखर सम्मेलन में उभरते और विकासशील देशों के लिए 6% कोटा शिफ्ट पर सहमति हुई, जिसे आईएमएफ के प्रबंध निदेशक डोमिनिक स्ट्रॉस-कान ने G20 वित्त मंत्रियों और सैंट्रल बैंक के गवर्नरों की बैठक (अक्टूबर 22-23, 2010, ग्योंगजू) के बाद से अब तक का सबसे ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण करार कहा। कार्यकारी बोर्ड के सदस्यों की संरचना को समायोजित करने और बेसल III को अपनाने के लिए सहमत होकर, सियोल शिखर सम्मेलन में नेताओं ने उन मुद्दों पर सहमति व्यक्त की जिन पर बहुत लंबे समय से सहमति नहीं बनी थी।
इसके अलावा, 'साझा विकास के लिए सियोल विकास सहमति'और 'विकास संबंधी बहु-वर्षीय कार्य योजना'को अपनाकर, सियोल शिखर सम्मेलन ने क्षमता निर्माण के माध्यम से विकासशील देशों द्वारा सतत विकास हासिल करने की प्रक्रिया की नींव रखी।
वैश्विक वित्तीय सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में, शिखर सम्मेलन में मौजूदा लचीली ऋण सहायता में सुधार करके और एक एहतियाती ऋण सहायता और एक बहुराष्ट्रीय लचीली ऋण सहायता की शुरुआत करके भविष्य के वित्तीय संकट के लिए एक पूर्व निर्धारित प्रतिक्रिया प्रणाली के निर्माण पर ठोस परिणाम प्राप्त हुए। ये परिणाम विकासशील और उभरते हुए देशों, जोकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अधिकांश देश हैं, के लिए गहरी रुचि वाले परिणाम हैं, जो कोरिया को गैर-G20 देशों और G20 सदस्य राष्ट्रों के मध्य मतभेदों को दूर करने वाली भूमिका निभाने में मदद करेंगे, और भविष्य में G20की कानूनी मान्यता में वृद्धि के लिए संस्थागत और शैक्षणिक आधार तैयार करेंगे।
सियोल शिखर सम्मेलन में कई पहलुओं पर गैर-G20 देशों के साथ निरंतर परामर्श में शामिल होने के कोरियाई सरकार के प्रयासों के बिना विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुख हितों पर इस तरह के ठोस परिणाम प्राप्त करना असंभव होता। ये परामर्श बड़े पैमाने पर G20 के लिए नियुक्त राजदूत द्वारा किए गए थे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आम राय और उसके संबंध में सियोल शिखर सम्मेलन की ओर निर्देशित तैयारी कार्यों के विवरण को एकत्र करने की दृष्टि से आईएलओ (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन) और संयुक्त राष्ट्र जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ अनेक ब्रीफिंग सत्रों के लिए एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप की यात्रा की थी।
G20 टोरंटो शिखर सम्मेलन के समय, अधिकांश देशों ने वैश्विक आर्थिक मंदी से उबरना शुरू कर दिया था। शिखर सम्मेलन घोषणा में कहा गया कि विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में उच्च बेरोजगारी दर और वित्तीय संकट के प्रभाव के समवर्ती अस्तित्व के रूप में गंभीर चुनौतियां बनी हुई हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने शिखर सम्मेलन के बाद के अपने दस्तावेज़ में यह संकेत दिया था कि घाटे में तीव्र कटौती विकास को काफी धीमा कर सकती है। संगठन ने जोर देकर कहा कि संतुलित लोक व्यय बांड बाजारों को स्थिर कर सकता है, कम सरकारी खर्च से ब्याज दरों को कम कर सकता है तथा निजी निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है। इसमें यह सिफारिश भी की गई थी कि चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं, जिन्हें व्यापार अधिशेष से काफी हद तक लाभ हुआ था, को विकसित देशों पर कम भरोसा करना चाहिए और घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए अपने स्वयं के खर्च में वृद्धि करनी चाहिए।
लंदन शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब विश्व द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे विकट आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। लंदन शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के नेताओं को एक साथ लाना था ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने तथा आर्थिक बहाली सुनिश्चित करने और नौकरियों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक सामूहिक कार्रवाई की जा सके। नेताओं को अनेक अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करना पड़ा - अर्थात एक अधिक गंभीर मंदी को रोकना और अल्पावधि में विकास को बहाल करना, साथ ही वित्तीय प्रणाली को पुनर्स्थापित करना, विश्व व्यापार प्रणाली को संरक्षित करना तथा स्थायी आर्थिक बहाली के लिए बुनियाद रखना। शिखर सम्मेलन में वास्तविक कार्रवाई पर सहमति हुई जिसके तहत नेताओं ने विश्वास, विकास और नौकरियों को बहाल करने; वित्तीय पर्यवेक्षण और विनियमन को सुदृढ़ करने; इस संकट को दूर करने और भावी संकटों को रोकने के लिए हमारे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का वित्तपोषण करने और उनमें सुधार करने; समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने और संरक्षणवाद को अस्वीकृत करने; तथा एक समावेशी, हरित और स्थायी आर्थिक बहाली का निर्माण करने के लिए किए जाने वाले उपायों पर सहमति व्यक्त की।
पिट्सबर्ग शिखर सम्मेलन में, G20 नेताओं ने निम्नलिखित के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की:
2008 G20 शिखर सम्मेलन वाशिंगटन डीसी में सब-प्राइम मॉर्टगेज वित्तीय संकट को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया था और इसे 'वित्तीय बाजारों और विश्व अर्थव्यवस्था पर शिखर सम्मेलन की घोषणा'शीर्षक दिया गया था। नेताओं ने आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने, मौजूदा वित्तीय संकट से निपटने और सुधार की नींव रखने के प्रयासों पर चर्चा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह का संकट फिर से उत्पन्न न हो। शिखर सम्मेलन में पांच प्रमुख उद्देश्य प्राप्त किए गए:
नेताओं ने एक कार्य योजना अनुमोदित की जिसके तहत इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की जाएगी और वित्त मंत्रियों को कार्रवाई करने के लिए कहा ताकि इस कार्य योजना का पूरी तरह से और सख्ती से कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। इस योजना में ऑफ-बैलेंस शीट साधनों के संबंध में लेखांकन और प्रकटीकरण मानकों में निहित कमियों को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई करना; यह सुनिश्चित करना कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां उच्चतम मानकों को पूरा करती हैं और हितों के टकराव से बचती हैं, निवेशकों को अधिक पारदर्शिता प्रदान करती हैं और जटिल उत्पादों के लिए रेटिंग में अंतर करती हैं; यह सुनिश्चित करना कि फर्म पर्याप्त पूंजी रखती हैं और बैंकों के संरचित ऋण एवं प्रतिभूतिकरण संबंधी कार्यकलापों के लिए सुदृढ़ पूंजी आवश्यकताओं का निर्धारण करती हैं; बैंकों की जोखिम प्रबंधन प्रथाओं को सुदृढ़ करने के लिए बेहतर दिशानिर्देश विकसित करना और यह सुनिश्चित करना कि फर्म ऐसी प्रक्रियाएं विकसित करती हैं जो यह निगरानी रखती हैं कि क्या वे बहुत अधिक जोखिम तो नहीं ले रहीं हैं; ऐसी प्रक्रियाएं स्थापित करना जिससे वैश्विक स्तर पर सक्रिय वित्तीय संस्थानों की देखरेख करने वाले राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बैठक करें और जानकारी साझा करें; तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं की व्यापक सदस्यता को शामिल करने के लिए वित्तीय स्थिरता मंच का विस्तार करना शामिल था।
नवंबर 14-15, 2008